रांची : राजधानी रांची इन दिनों स्मार्ट सिटी बनने की तर्ज पर आगे बढ़ रही है। राजधानी में एक से बढ़कर एक शॉपिंग मॉल कांप्लेक्स खुल रहे हैं और अत्याधुनिक सुविधाएं मिल रही है। ऐसा लग रहा है जैसे रांची, राजधानी दिल्ली से मुकाबला करने की ओर तेजी से बढ़ रही है।
छाता खुलते ही रांची की नालियां बजबजाने लगती है
आप सोच रहे होंगे कि हम रांची और देश की राजधानी दिल्ली की तुलना क्यों करने लगे, ऐसा इसलिए क्योंकि जल्द ही राजधानी रांची देश की राजधानी दिल्ली की तरह ही डूबी हुई नजर आएगी। हल्की सी बारिश होती है छाता खुलते ही रांची की नालियां बजबजाने लगती है घुटनों तक सड़क में पानी जमा हो जाता है। राजधानी रांची की हृदय स्थली कहे जाने वाले रातू रोड से लेकर पिस्का मोड़ के हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि सड़क कम नाली का पानी ज्यादा नजर आता है।
सड़क और नाली के बीच का अंतर पता ही नहीं चलता
कचहरी चौक से लेकर जेल मोड़ की बात करें तो बारिश के बाद आपको सड़क और नाली के बीच का अंतर पता ही नहीं चलेगा। कांटा टोली हो या बहु बाजार, ड्रेनेज सिस्टम का बुरा हाल है नालियों की साफ सफाई नहीं हो रही जिसके कारण सारा पानी सड़क पर आ रहा है।
ऐसे में स्मार्ट सिटी की राह पर आगे बढ़ रही राजधानी की पहली जरूरत शहर के ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत करना है मगर शायद इस ओर कोई कदम नहीं बढ़ाया जा रहा। ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली की तरह रांची की भी सड़कों पर पानी ही पानी जमा होगा और लोग यहां पर भी बोटिंग का लुत्फ उठाने लगेंगे। राजधानी रांची की सड़कें भी झील जैसी होगी और शायद रांची भी झीलों का शहर कहलाएगा।
कब दुरुस्त होगा ड्रेनेज सिस्टम?
हालांकि ऐसे कई सारे मुद्दे हैं मगर सबसे बड़ा मुद्दा इस बरसात के मौसम में ड्रेनेज सिस्टम ही है। आए दिन सड़क पर पड़े गड्ढों के कारण दुर्घटनाएं होती है मगर इन सब की किसी को फिक्र नहीं। मुद्दा यही है कि आखिर कब तक प्रशासन शहर की साफ सफाई को लेकर अपनी आंखें बंद रखता है? सवाल यह भी है कि क्या प्रशासन जन आंदोलन का इंतजार कर रहा है या फिर प्रशासन यह मान चुका है कि रांची की जनता को सड़कों पर नाली का जमा पानी देखने की आदत पड़ चुकी है?
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