झारखंड के गर्भ में ऐसे कई रहस्य छुपे हुए हैं, जिसका सुलझना अभी बाकी है. झारखंड जितना अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है उतना ही यहां के रहस्य मन में कौतूहल पैदा करते हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्य से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं. राजधानी से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर पिठौरिया गांव है. इस गांव के बारे में कहा जाता है कि एक शाप ने इस गांव को अपने जद में ले रखा है.
खंडहर बन गया है किला
पिठौरिया गांव में राजा जगतपाल सिंह का किला हुआ करता था. जो अब खंडहर में तब्दिल हो चुका है. यहां लोगों की मान्यता है कि यह किला शापित है. यहां हर साल बिजली गिरती है. बिजली गिरने की वजह से ही किला खंडहर में तब्दिल हो गया है. हालांकि, वैज्ञानिक तर्क देते हैं कि किले के आसपास ऊंचे पेड़ होने के कारण ही बिजली यहां गिरती है.
2 सौ साल से पुराना इतिहास
पिठौरिया स्थित जगतपाल का किला लगभग 200 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. वज्रपात होने के कारण यह किला पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुका है. दिन में भी स्थानीय लोग इस किले के अंदर नहीं जाते. यहां के लोग जो बातें बतातें हैं, साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जमाने में इस पर विश्वास नहीं होता, लेकिन ये सच हैं. यहां की कहानियों में जो बताया जाता है वो हैरान करने वाला है.
अंग्रेजों से जुड़े हैं तार
बताया जाता है कि छोटानागपुर की भौगोलिक स्थिति के कारण अंग्रेजों को यहां अपना पांव फैलाने में काफी परेशानी हो रही थी. ऐसी स्थिति में अंग्रेज अधिकारी थॉमस विल्किंसन को जगतपाल का सहयोग मिला. 1857 के विद्रोह के समय जब ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए आक्रमण करना चाहा, तो जगतपाल सिंह ने पिठौरिया घाटी को पत्थरों से बंद करके अंग्रेजों की रक्षा की थी. लोग बताते हैं कि जमींदार जगतपाल को शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का श्राप लगा है. यही नहीं यहां के लोगों का मानना है कि जमींदार जगतपाल ने क्रांतिकारियों को अंग्रेजों के हाथों पकड़वा दिया था.
कई और कहानियां भी हैं प्रचलित
कुछ लोगों का कहना है कि जगतपाल सिंह ने जब किला बनवाया था तो यहां काम करने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे. और उन्हीं मजदूरों का शाप है कि ये किला खंडहर में बदल गया है.
इसे भी पढ़ें : जेल में गुजरेगी बिहार के एक और नेता की जिंदगी, जानें, कौन है वो…