रांची: आधुनिकरण की चाहत हमारे खात्मे का कारण बनने वाली है. इसके संकेत भी मिलने शुरु हो गए हैं. अचनाक से एक दिन में मौसम करवट बदल ले रहा है. महज 24 घंटों में तापमान में 4-5 डिग्री का इजाफा हो जा रहा है. झारखंड की राजधानी रांची की बात करें तो 20 फरवरी तक हवा में ठंडक थी, दोपहर मे भी हल्के स्वेटर, जैकेट, शॉल की जरुरत महसूस हो रही थी. लेकिन 21 फरवरी से सूरज की तपिश ऐसी बढ़ी मानों ये मई-जून का महीना हो. लोग गर्मी-गर्मी हल्ला मचाने लगे. लेकिन ये तो महज ट्रेलर है, पूरी पिक्चर और भी ज्यादा गर्म होने वाली है.
ज्यादा पड़ेगी गर्मी, लेट रहेगा मॉनसून
मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद के मुताबिक इस बार गर्मी ज्यादा और लंबे दिनों तक पड़ने वाली है. ड्राइ स्पेल ज्यादा लंबा हो गया है, नंवबर से लेकर फरवरी तक बारिश नहीं हुई. ये सिर्फ झारखंड नहीं पूरे देश के मौसम में बदलाव देखा जा रहा है. इस बार उत्तर भारत में भी वैसी सर्दी नहीं पड़ी. उन्होंने कहा कि मॉनसून भी लेट रहेगा क्योंकि आसार हैं, ये अल नीनो वर्ष है.
क्या है अल नीनो, क्या होता है असर ?
अल नीनो ऐसी प्रक्रिया है जिसमें समुंद्र के जलीय सतह असामान्य रुप से गर्म हो जाती है. समुंद्र के जलीय सतह समान्य से ज्यादा गर्म होने की वजह से हवा के चलने के पैटर्न में बदलाव आ जाता है, इसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर पड़ता है. और इस साल इसके संकेत दिख रहे हैं. भारत में 2018 में भी अल नीनो का प्रभाव देखने को मिला था. उस वर्ष सामान्य से कम बारिश हुई थी
क्लाइमेट चेंज का दिख रहा असर
ये सब क्लाइमेट चेंज का असर है, पूरी दुनिया अब इसका प्रकोप झेल रही है. हमने कोविड काल के दौरान दो वर्ष देखें जिसमें लॉकडाउन की वजह से मौसम बिलकुल बदला-बदला सा था, गर्मी कम पड़ी थी, दोनों वर्ष इंद्र देवता भी जमकर बरसे थे. लेकिन जैसे की दुनिया सामान्य रुप से पटरी पर लौटी. सबकुछ पहले जैसे होने लगा. प्रदूषण बढ़ा, प्रकृति के साथ छेड़छाड़ शुरु हुई. प्रकृति ने भी अपनी ताकत दिखानी शुरु कर दी.
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