रामगढ़ के कुजू क्षेत्र में 16 मई 2025 को सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) तोपा प्रबंधन और लोकल विस्थापित प्रभावित बुद्धिजीवी मंच के बीच एक महत्वपूर्ण वार्ता आयोजित हुई। इस वार्ता की अध्यक्षता तोपा प्रोजेक्ट ऑफिसर एमके सिंह ने की, जिसमें मंच ने 1980 के भूमि अधिग्रहण के बाद रैयतों को नौकरी और मुआवजा न मिलने का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। मंच ने झारखंड सरकार के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यदि पांच वर्षों के भीतर नौकरी या मुआवजा नहीं दिया जाता, तो अधिग्रहित जमीन वापस की जानी चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय ठेकेदारों को सभी संविदा कार्यों में प्राथमिकता और लोकल रोड सेल में नियमानुसार कोयला आपूर्ति की मांग भी रखी गई।
वार्ता में मंच ने आउटसोर्सिंग, डीओ होल्डर, ट्रांसपोर्टिंग, सप्लाई, और सिविल कार्यों में 75% हिस्सेदारी स्थानीय, विस्थापित, और प्रभावित समुदाय के लिए सुनिश्चित करने की मांग की। यह मांग क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और विस्थापितों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से थी। प्रबंधन ने इन सभी मांगों पर गंभीरता से विचार करने और जल्द से जल्द कार्रवाई शुरू करने का आश्वासन दिया। वार्ता में मैनेजर चंद्रवीर नारायण, निलेश कुमार, सेल्स ऑफिसर आलोक सिंह, अमित साडंगी, और आकाश कुमार सिंह शामिल थे, जबकि मंच की ओर से डाडी जिप सदस्य सर्वेश कुमार सिंह, रबोध मुखिया उमेश करमाली, ज्योतिंद्र प्रसाद साहू, ओरला मुखिया प्रतिनिधि निर्मल करमाली, और अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
यह वार्ता तोपा क्षेत्र में विस्थापित समुदाय के लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। मंच की मांगें न केवल आर्थिक और सामाजिक न्याय की ओर इशारा करती हैं, बल्कि CCL जैसे बड़े संगठनों से स्थानीय समुदाय के प्रति उनकी जिम्मेदारी को भी रेखांकित करती हैं। प्रबंधन के आश्वासन के बाद अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इन मांगों को कितनी जल्दी और प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है।
-रिपोर्टर: कुमार मिश्रा










