वक़्फ (संशोधन) विधेयक लोक सभा में पारित हो गया है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में अनुसूचि 5 और अनुसूचि 6 के तहत वक़्फ संपत्ति घोषित करने पर रोक लगाई गई है। इस विधेयक के माध्यम से आदिवासी समुदाय की मूल संस्कृति और संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस विधेयक को आदिवासी हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि झामुमो ने इस विधेयक का विरोध कर आदिवासी समाज के प्रति अपनी असंवेदनशीलता को उजागर किया है।
राजनीतिक विवाद और तुष्टिकरण की राजनीति
झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोक सभा सांसदों द्वारा विधेयक के विरोध में मतदान करने से राज्य में राजनीतिक विवाद गरमा गया है। रघुवर दास ने झामुमो पर आरोप लगाया कि कांग्रेस के संपर्क में आने के बाद वह तुष्टिकरण की राजनीति में फंस चुका है। उन्होंने आदिवासी समाज से अपील की कि वे झामुमो और कांग्रेस के सांसदों का सामाजिक बहिष्कार करें। उनका मानना है कि झामुमो आदिवासी हितों की रक्षा के बजाय मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए काम कर रहा है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों की पहचान, संस्कृति और विरासत कमजोर हो रही है।
आदिवासी समाज के लिए जागरूकता की आवश्यकता
विधेयक के पारित होने के बाद आदिवासी समाज को जागरूक होने की आवश्यकता है। अनुसूचित क्षेत्रों में वक़्फ संपत्ति के निर्माण और विस्तार को रोकने के लिए यह विधेयक एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में धर्म परिवर्तन और जमीन हड़पने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए इस विधेयक को लागू किया है। आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क रहना होगा और तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ आवाज उठानी होगी।