श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार (29 मई) को नाविक (जीपीएस) सेवाओं को बढ़ाने के लिए नई पीढ़ी के सैटेलाइट को लॉन्च किया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किए गए जीएसएलवी-एफ12 (GSLV-F12) रॉकेट पर एनवीएस-1 (NVS-1) सैटेलाइट को लगाया गया था।
जानकारी के अनुसार, दो हजार किलो से ज्यादा वजनी स्पेसक्राफ्ट एनवीएस-01 भारत की नेविगेशनल और निगरानी करने की क्षमताओं को बढ़ा देगा। बताया जा रहा है कि इस स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया गया है।
भारत की ‘आंख’ बनेगा NVS-01
एनवीएस-01 के जरिये भारत का नेविगेशन सिस्टम और मजबूत होगा। इसके साथ ही देश की सीमाओं पर निगरानी में मदद करेगी। कहना गलत नहीं होगा कि इस सैटेलाइट के सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित होने से चीन और पाकिस्तान को मिर्च लगना तय है। दोनों ही देशों की ओर से भारतीय सीमाओं पर लगातार उकसावे वाली कार्रवाई की जाती रही है।
कहा जा रहा है कि एनवीएस-01 के जरिये अब भारत समय रहते ही सीमाओं पर होने वाली पड़ोसी देशों की नापाक कारगुजारियों का जवाब देने के लिए तैयार हो सकेगा। किसी भी आपात स्थिति में भी इसरो की नाविक सैटेलाइट देश की आंख बनकर सुरक्षा एजेंसियों को रास्ता दिखाने का काम करेगी।
क्या होता है NAVIC?
स्वदेशी नेविगेशन सेटेलाइट (NAVIC) को इसरो ने विकसित किया और बनाया है। ये सात सैटेलाइट का एक समूह है, जो अंतरिक्ष में ग्राउंड स्टेशन की तरह काम करेंगे। ये नेटवर्क सामान्य लोगों से लेकर सैन्य बलों के लिए रणनीतिक तौर पर नेविगेशनल सेवाएं मुहैया कराएगा। इस सिस्टम को भारत में एविएशन सेक्टर में बढ़ रही मांगों को देखते हुए बेहतर नेविगेशन, समय और स्थिति निर्धारण में मदद करेगा।
इस सैटेलाइट के जरिये भारत और आसपास का करीब 1500 किलोमीटर का क्षेत्र निगरानी क्षेत्र में आ जाएगा। इस सैटेलाइट के साथ ही इसरो ने पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी को भी लॉन्च किया है।









