गोवा में 26 फरवरी को रियर एडमिरल केएम रामकृष्णन द्वारा प्राचीन सिले जहाज का शुभारंभ किया गया। इस अद्वितीय जहाज का निर्माण लकड़ी, नारियल के रेशे और प्राकृतिक रेजिन से किया गया है। इस शुभारंभ समारोह में पारंपरिक कारीगरों, भारतीय नौसेना और शिपयार्ड के कर्मचारियों की उपस्थिति रही। यह शुभारंभ भारतीय जहाज निर्माण की गौरवशाली धरोहर को दर्शाता है।
‘सिले’ जहाज एक अनूठा जलयान है, जिसे पारंपरिक तरीकों से तैयार किया गया है। इस जहाज का निर्माण करने के लिए लकड़ी, नारियल के रेशे और प्राकृतिक रेजिन का उपयोग किया गया है, जो इसकी विशिष्टता को बढ़ाते हैं। इस समारोह में पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया गया और यह दर्शाता है कि भारत की जहाज निर्माण कला आज भी जीवित है और इसे सम्मानित किया जा रहा है।
इस लॉन्च के माध्यम से भारतीय नौसेना और शिपयार्ड की परंपरा और विशेषज्ञता को प्रदर्शित किया गया है। यह प्राचीन सिले जहाज भारतीय समुद्री धरोहर का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि भारत ने अपने ऐतिहासिक जहाज निर्माण कला को अभी भी बरकरार रखा है। इस शुभारंभ से यह संदेश मिलता है कि भारत की प्राचीन तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान का सम्मान और सराहना की जा रही है।