प्रयागराज : अतीक अहमद के बेटे असद को कसारी-मसारी कब्रिस्तान में कड़ी सुरक्षा के बीच सुपुर्द-ए-खाक कर दिया। उसके अतिंम संस्कार में 25 से 30 लोग शामिल हुए। इस दौरान उसकी बुआ समेत परिवार के कुछ अन्य लोग मौजूद थे। अतीक अहमद अपने बेटे के जनाजे में शामिल नहीं हो पाया। ना ही उसकी मां शाइस्ता परवीर उसके जनाजे में शामिल हो पाई।
बता दें गुरुवार को यूपी एसटीएफ ने झांसी में असद और शूटर गुलाम मोहम्मद को एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके बाद दोनों के शवों को प्रयागराज से झांसी लाया गया। दोनों ही उमेश पाल हत्याकांड में मुख्य आरोपी थे। गौरतलब है कि 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद से ही असद और गुलाम मोहम्मद फरार चल रहे थे।
अंतिम संस्कार के वक्त दिखीं कुछ महिलाएं
इस दौरान यहां कुछ महिलाएं देखी गईं। पुलिस ने कुछ महिलाओं को रोकने की कोशिश भी की, लेकिन महिलाएं नहीं रूकीं। सूत्रों के मुताबिक चार से पांच महिलाएं हैं। सभी महिलाएं बुर्के में थीं। बाद में महिला पुलिस ने उन्हें रोका और उनसे पूछताछ की गई। आशंका जताई जा रही थी महिलाओं में से कोई एक असद की मां और वॉन्टेड आरोपी शाइस्ता परवीन हो सकती है। हालांकि कब्रिस्तान की मस्जिद में छिपी हुई महिलाओं में शाइस्ता परवीन नहीं थी। अतीक की बहन शाहीन उनकी बेटी और तीन रिश्तेदार महिलाएं थी। पुलिस ने डेढ़ घंटे की पड़ताल के बाद सभी को वापस जाने दिया।
अतीक अहमद के वकील ने ये कहा
असद के शव को दफनाए जाने के बाद अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोर्ट के समय के पहले ही असद को सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया इसलिए कोर्ट में अर्ज़ी नहीं लग सकी। उन्होंने कहा कि हमारी मांग थी कि अतीक अहमद को असद के जनाजे में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि असद की मां शाइस्ता परवीन यहां मौजूद नहीं थीं। शासन प्रशासन ने अंतिम प्रक्रिया कराने में सहयोग किया और किसी को एतराज़ नहीं है।
असद को हमने बहुत प्यार से पाला था- नाना
अतीक के बेटे को दफनाए जाने से पहले पुलिस प्रशासन ने उसके मोहल्ले और कब्रिस्तान के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी थी। प्रयागराज पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि असद को उसके नाना सहित 20-25 लोगों की मौजूदगी में दफनाया गया जबकि गुलाम के शव को दूसरी जगह सुपुर्द-ए-खाक किया गया। असद को दफनाए जाने से पहले उसने नाना हामिद अली ने कहा कि उनकी मां यहां नहीं है तो वह मजबूरी है। उनके दिल से पूछना चाहिए (क्या यह सही है)। हमने असद को बहुत प्यार से पाला था।