RJD सांसद सुधाकर सिंह ने बिहार सरकार के वित्त विभाग में हुई अनियमितताओं को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की जांच कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। सुधाकर सिंह ने इस पत्र में वित्त मंत्री सम्राट चौधरी के विभाग पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं के परिजनों की निजी कंपनियों और गैर सरकारी संगठनों को ठेके दिए गए, जिससे राज्य सरकार को बड़ा वित्तीय नुकसान हो रहा है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इन कंपनियों को सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया, जिससे सरकारी बजट पर भारी बोझ पड़ रहा है।
सुधाकर सिंह ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान वित्त सचिव के कार्यकाल में लिए गए फैसलों पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बजट संबंधित बैठकों में निजी कंपनियों और व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जा रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि वित्त सचिव की नियुक्ति के तुरंत बाद मात्र तीन दिनों में उनका स्थानांतरण कर दिया गया, जो कि प्रशासनिक अनियमितताओं की ओर इशारा करता है। इन मुद्दों की पृष्ठभूमि को देखते हुए सुधाकर सिंह ने प्रदेश में एक जन लोकपाल की नियुक्ति की मांग की है, ताकि ऐसे मामलों की निष्पक्ष और गहन जांच हो सके।
इस पत्र के माध्यम से सुधाकर सिंह ने बिहार सरकार पर बड़े सवाल खड़े किए हैं और प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने बिना प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के की गई नियुक्तियों का विश्लेषण करने और उनके प्रभाव का आकलन करने का आग्रह किया। यह मामला बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है और सरकार पर दबाव बना सकता है कि वह इन आरोपों पर ठोस जांच करे और प्रशासनिक सुधार लागू करे। सुधाकर सिंह की इस पहल से अनियमितताओं को उजागर करने और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में नए कदम उठाए जाने की उम्मीद है।