रांची : झारखंड की युवा कवियित्री डॉ. पार्वती तिर्की को वर्ष 2023 के लिए प्रलेक न्यास द्वारा दिये जाने वाले प्रलेक नवलेखन सम्मान दिये जाने की घोषणा की गयी है। डॉ. पार्वती तिर्की को यह सम्मान उनके प्रथम काव्य संग्रह ‘फिर उगाना’ के लिए दिया जा रहा है। यह काव्य संग्रह आदिवासी जीवन, संस्कृति, लोककथाओं और लोक जीवन से जुड़ा हुआ है। अपने काव्य संग्रह में उन्होंने आदिवासी बोध के बाहर पनप रही सभ्यता के आक्रमक प्रभावों और खतरों को भी रेखांकित करती है।
राधाकृष्ण प्रकाशन से मार्च में प्रकाशित
डॉ. पार्वती ने बताया कि राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित काव्य संग्रह ‘फिर उगाना’ को महज एक माह में यह सम्मान मिलना गर्व की बात है। प्रलेक प्रकाशन के लोगों ने फोन पर इसकी सूचना दी और यह भी बताया कि अमूनन प्रकाशक अपने ही लेखकों को सम्मान के लिए चयन करती है, लेकिन लेखन इतनी सुदंर और यर्थाथ के करीब है कि उन्हें विवश कर दिया। सम्मान की घोषणा के बाद बात करते हुए युवा कवियित्री ने कहा कि यह उनके काम और जनजातीय जीवन को पहचान मिलने जैसा है। सम्मान पाकर वो बहुत खुश है औ इससे उनका हौसला बढ़ा है। मेरी कविताएं समाज का यथार्थ बयां करती है और भविष्य की संभावनाएं बताती है।
29 वर्ष की आयु में पार्वती तिर्की को मिला सम्मान
मूलतः गुमला जिले की रहने वाली डॉ. पार्वती तिर्की वर्तमान में रांची के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी में पीएचडी की है। मात्र 29 वर्ष की आयु में पार्वती तिर्की ने यह सम्मान हासिल किया है।