रांची : ईद….. मतलब…. अल्लाह से इनाम लेने का दिन। उनसे बात करने का दिन… अपनों को गले लगाने का दिन…. खुशियाँ बाँटने का दिन। इस दिन घर के बुजुर्ग छोटों को ईदी देते हैं। पूरे महीने चलने वाले रमजान की समाप्ति ईद से ही होती है। घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। और सेवईयों की तो बात ही कुछ और है। यही वजह है की, ईद के मौके पर क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम सभी सेवाइयाँ खाने – खिलाने को आतुर रहते हैं। देवघर में भी चाँद के दीदार के बाद मस्जिद में शुकराने की नमाज अदा की गई और… लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाइयां दी।
नमाज अदा करने के बाद सभी ने एक दूसरे को बधाई
देवघर में शुक्रवार की शाम चाँद दिखते ही रोजेदार शुकराने की नमाज अता करने के लिए बेसब्र नज़र आए। इंतज़ार खत्म होते ही अहले सुबह से ही तमाम इबादत गाहों में नमजियों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। नमाज अदा करने के बाद सभी लोगों ने एक दूसरे को बधाईयां दी।
खुशियों का पैगाम लेकर आया ईद
ईद को लेकर बाजार में भी रौनक देखी जा रही है। बाजार इस दफे रंग बिरंगी टॉपियों और लजीज सेवईयों से पटी पड़ी है। यहाँ जमकर खरीदारी भी की जा रही है। देवघर ईदगाह में नमाज अदा करने पहुंचे नमाजियों की माने तो, इस साल का ईद खुशियों का पैगाम लेकर आया है। पूरे दो साल बाद लोगों को एक दूसरे से गले मिलने का मौका मिला है। ऐसे में सभी लोग गिले -शिकवे भूलकर खुशियों में शामिल होने को आतुर हैं।
ईद के चाँद का इस्लाम में खास महत्व
बाहरहाल, चाँद को देखकर त्योहार मनाने की रावयत यूँ तो हिन्दुओं में भी है। लेकिन, ईद के चाँद का इस्लाम में खास महत्व है। आइए सब मिलकर खुशियाँ बांटे। गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाएं, उन्हें गले लगाएं। बुजुर्गों से आशीर्वाद ले। और एक दूसरे को सेवाइयाँ ज़रूर खिलाएं। ईद मुबारक।
आइए जानते हैं ईद-उल-फितर के इतिहास और महत्व के बारे में
- सन् 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद पैगम्बर मुहम्मद ने पहली बार ईद-उल-फितर मनाई थी।
- पवित्र रमजान माह के प्रारंभ के साथ रोजा रखा जाता है। हर दिन अल्लाह की इबादत की जाती है। रमजान के 29वें या 30वें दिन ईद-उल-फितर का त्योहार मनाते हैं। ईद-उल-फितर रमजान के खत्म होने का संदेश है।
- रमजान माह चांद के दिखने पर शुरू होता है और ईद भी चांद के दिखने पर ही मनाई जाती है। मुसलमानों का हिजरी कैलेंडर चांद पर आधारित है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे एक माह तक रोजा रखने और खुदा की इबादत करने पर अल्लाह ईद-उल-फितर को खुशी के तौर पर देता है।
- ईद भाईचारे का संदेश देती है। ईद के दिन लोग जकात देते हैं। इसका अर्थ है कि हर सक्षम मुसलमान अपनी कमाई में से कुछ हिस्सा गरीबों में बांटता है, ताकि वे भी ईद की खुशी मना सकें।
- ईद नफरतों को भूलाकर आपसी प्रेम बढ़ाने का संदेश देती है। इस वजह से लोग अपने मनमुटावों को दूर कर खुशी से गले मिलते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। इस मौके पर एक दूसरे को उपहार भी दिया जाता है। परिवार के बड़े सदस्य छोटों को ईदी देते हैं।
- ईद-उल-फितर के अवसर पर दावत दी जाती है, जिसमें दोस्त, रिश्तेदार और शुभ चिंतकों को शामिल किया जाता है। इसमें अनेक प्रकार के पकवान परोसे जाते हैं।