अमेरिकी मध्यस्थता के बाद भारत और पाकिस्तान ने तत्काल प्रभाव से सीजफायर पर सहमति जताई, जिसके बाद भारतीय सेना ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर अपनी स्थिति और कार्रवाइयों को स्पष्ट किया। कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान के दुष्प्रचार को खारिज करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने धार्मिक स्थलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि केवल आतंकी ठिकानों पर सटीक और संयमित हमले किए। उन्होंने पाकिस्तान के दावों—जैसे JF-17 से S-400 और ब्रह्मोस मिसाइल बेस, सिरसा, जम्मू, पठानकोट, भटिंडा, नलिया, भुज के हवाई अड्डों और चंडीगढ़, व्यास के गोला-बारूद डिपो को नुकसान—को पूरी तरह असत्य बताया। कुरैशी ने जोर देकर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, और उसकी सेना संवैधानिक मूल्यों का पालन करती है।

विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के स्कार्दू, जैकोबाबाद और भोलारी जैसे महत्वपूर्ण हवाई ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा। इसके साथ ही, पाकिस्तान के वायु रक्षा हथियार प्रणाली और रडार को नष्ट कर उनके हवाई क्षेत्र की सुरक्षा को कमजोर कर दिया गया। सिंह ने खुलासा किया कि नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के सैन्य बुनियादी ढांचे, कमांड कंट्रोल सेंटर और लॉजिस्टिक प्रतिष्ठानों को व्यापक और सटीक नुकसान पहुंचाया गया, जिसने उनकी सैन्य क्षमता और मनोबल को तोड़ दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय कार्रवाई बदले की भावना से नहीं, बल्कि बिना उकसावे के किए गए हमलों का जवाब थी, और पाकिस्तान के ब्रह्मोस बेस को नुकसान के दावे निराधार हैं।

कमोडोर रघु आर. नायर ने भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की एकजुटता और ताकत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सीजफायर का पालन किया जाएगा, लेकिन मातृभूमि की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए सशस्त्र बल पूरी तरह तैयार और सतर्क हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का जवाब निर्णायक और शक्तिशाली होगा। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस भारत की सैन्य ताकत, संयम और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ नीति को दर्शाती है। पाकिस्तान के दुष्प्रचार को बेनकाब करने और क्षेत्रीय शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता को सामने लाने में यह कदम महत्वपूर्ण साबित हुआ। भारतीय सेना ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम है।