रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने रांची के कांके डैम, हटिया डैम, हरमू नदी एवं तालाबों के जल स्रोतों पर प्रदूषण और अतिक्रमण पर नाराजगी जताते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा एवं जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने रांची नगर निगम से जलाशयों एवं जल स्रोतों के आसपास अतिक्रमण हटाने को लेकर अब तक की गई कार्रवाई का पूरा ब्योरा पेश करने को कहा है।
इसके बाद रांची नगर निगम ने कांके डैम और बड़ा तालाब के आसपास बिना नक्शा स्वीकृत कराए बने भवनों को तोड़ने का फरमान जारी किया है। जिसमें कांके डैम क्षेत्र में कुल 93 भवन मालिकों को शुक्रवार को नोटिस भेजा गया है। नोटिस में कहा गया है कि नगर आयुक्त के न्यायालय में चल रहे अनाधिकृत निर्माण वाद में 23 जुलाई 2021 को निर्गत आदेश के आलोक में अनुपालन करना सुनिश्चित करें। नहीं तो निगम अपने स्तर से उसे हटाएगा और खर्च हुई राशि की वसूली भी करेगा। जारी नोटिस संबंधित भवन मालिकों को 15 दिनों के अंदर स्वयं भवन तोड़कर इसकी सूचना निगम को देने के लिए कहा गया है। बता दें कि रांची नगर निगम तब एक्शन लिया जब झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया।
बताते चलें कि कांके निवासी व समाजिक कार्यकर्ता राजीव कुमार सिंह ने वर्ष 2019 में पीआईएल दाखिल किये, जिनका संख्या 1911/19 है। दूसरा पीआईएल तलाबों एवं हरमू नदी को लेकर किया गया जिनका नंबर 2016-20 है। जिसमें एक सप्लीमेंट्री 528/20 हाईकोर्ट में वकील के माध्यम से दाखिल किया गया था। जिसे हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया। इस पर विगत चार वर्षों से अदालत में सुनवाई चल रही थी।
कांके डैम के आसपास भूमाफियाओं का कब्जा
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि डीवीसी के द्वारा जब कांके डैम का निर्माण 1954 में किया गया था उस समय कुल 454 एकड़ जमीन थी। जो वर्तमान में लगभग 190 एकड़ जमीन बची है, जिसपर अभी भी भूमाफियाओं ने 30 एकड़ जमीन पर कब्जा किया हुआ है। यह जमीन कांके रोड के तरफ सीएमपीडीआई गेट के सामने सब्जी मंडी उसके बगल में पूर्व गोंदा थाना के पीछे वाली जमीन साथ ही रातू रोड के तरफ डैम की जमीन को भूमाफियाओं के द्वारा गलत तरीके से लोगों को बेच दिया गया है। जो अपने कच्चा एवं पक्का मकान का निर्माण कर चुके हैं साथ ही खाली जमीन को बॉउंड्री कर छोड़ दिया गया है।
तलाबों का शहर रांची में बचे हैं मात्र 6 जलाशय
आप जानकर हैरान होंगे कि रांची को पहले तलाबों का शहर कहा जाता था, लेकिन अब यहां पर तालाब का अस्तित्व लगभग मिट चुका है। रांची में पहले लगभग 37 तालाब थे, जो वर्तमान 6 तालाब कारगर रह गये हैं। बाकी 31 तालाबों पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी कर दी है। जिसके कारण विगत वर्षों से रांचीवासियों व उसके आसपास जल संकट बना हुआ है।
नाले में तब्दील हरमू नदी !
आपको बता दें कि एक जमाने में रांची की प्रमुख हरमू नदी हुआ करती थी, जो अब सिर्फ नाले के रूप में इसकी पहचान है। इस नदी की चौड़ाई लगभग 39 मीटर थी जो घटकर अब लगभग 9 मीटर रह गई है। अगर इसपर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो आनेवाले वर्षों में रांचीवासी पानी के लिए तरस जाएंगे। क्योंकि रांची शहर समुद्र तल से लगभग 1200 फीट ऊपर है। अगर इन तालाबों, डैम को नहीं बचाया गया तो रांची से अस्तीत्व खत्म हो जायेगा
हाईकोर्ट के संज्ञान से लोगों में जगी आस
अब इस मामले पर झारखंड हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है तो रांचीवासियों में भी एक खुशी की लहर दौड़ गई है। उन्हें उम्मीद है कि अदालत की कार्रवाई से इन जलाशयों का फिर से पुनरुद्धार किया जायेगा। आने वाले दिनों में जल संकट से रांचीवासियों को निजात मिलेगी।