डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में करम महोत्सव के आयोजन पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य के द्वारा इसकी अध्यक्षता की गई । मुख्य अतिथि के तौर पर झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव आमंत्रित थे। विशिष्ट अतिथि डॉ टी एन साहू, कुलपति , झारखंड ओपेन यूनिवर्सिटी , लोक कलाकार पद्मश्री मधु मंसूरी , वरिष्ठ साहित्यकार महादेव टोप्पो आदि उपस्थित थे। सभी माननीय अतिथियों का सम्मान और स्वागत पुस्तक भेंट कर किया गया।क्षेत्रीय भाषा के समन्वयक और खोरठा विभागाध्यक्ष प्रो विनोद कुमार के द्वारा स्वागत भाषण दिया गया ।
इसके बाद विभाग के विद्यार्थियों द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया । मुख्य अतिथि डॉ रामेश्वर उरांव ने करम पूजा में संदेश देते हुए कहा कि हर गांव में अखड़ा निर्माण सुनिश्चित हो। उन्होंने आदिवासी मूलवासी की मातृभाषा के समक्ष कई चुनौतियों की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि शिक्षित परिवार विशेष तौर पर शहर के लोग अपने घर में मातृभाषा में संवाद करें उन्होंने इसी संदर्भ में कहा कि मातृभाषा हमारी संस्कृति की धरोहर है। इसे सुरक्षित रखने के लिए हर गांव में अखड़ा निर्माण कराने और झारखंड के सभी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में इन भाषाओं की पढ़ाई और लोक संस्कृति को बचाने पर विशेष ध्यान दिया जाना है। उन्होंने कहा कि हमें भी अपने स्तर पर इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। साहित्यकार शरण उरांव द्वारा करम कथा का वाचन हुआ।
तत्पश्चात डीएसपीएमयू के कुलपति प्रो तपन कुमार शांडिल्य ने अपने उदबोधन में कहा कि विश्विद्यालय में सभी भाषाओं की पढ़ाई होती है। इस त्योहार को ओड़ीसा, बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम में मनाया जाता है। यह पर्व हमें संदेश देता है कि हमें मिलकर प्रकृति की रक्षा करनी है ताकि प्राकृतिक संपदा बनी रहे और विकास बिना पर्यावरणीय क्षति के हो।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस पर्व के माध्यम से प्रकृति और पर्यावरण को संरक्षित करने की अनमोल विरासत झारखंड की धरती को प्राप्त है। आज आवश्यकता इस बात की है कि इसे ध्यान में रखते हुए एक प्राकृतिक संतुलित जीवन शैली को अपनाया जाए। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा कि प्रकृति के इस पर्व पर संतुलन बनाए रखने के लिए करम त्योहार हमें सबसे सटीक संदेश देता है। झारखंड ओपेन यूनिवर्सिटी के कुलपति dr टी एन साहू ने झारखंडी नृत्य संगीत कला को बचाए रखने की बात पर जोर देते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में इन संस्कृति के तत्वों को आत्मसात कर लेना चाहिए।
धन्यवाद ज्ञापन प्रो रामदास उरांव के द्वारा किया गया। अंत में जनजातीय विभाग द्वारा परंपरागत परिधानों के साथ नृत्य प्रस्तुत किया गया। करम पूजा प्रो महेश भगत और जुरण सिंह मानकी के द्वारा किया गया। मंच का संचालन जय किशोर मंगल एवं डुमनी मुर्मू के द्वारा हुआ। मौके पर विश्वविद्यालय की कुलसचिव dr नमिता सिंह, परीक्षा नियंत्रक dr आशीष गुप्ता, dr जिंदर सिंह मुंडा, dr अभय सागर मिंज के अलावा जनजातीय विभाग के शिक्षक, विधार्थियों के अलावा अन्य छात्र– छात्राएं एवम शिक्षक – शिक्षिकाएं उपस्थित थे। यह जानकारी पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह ने दी।