आज दिनांक 4 जनवरी को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के सभागार में विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई के द्वारा ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति dr तपन कुमार शांडिल्य ने अपने संबोधन में एनएसएस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक अनूठी शाखा है जिसमें एनएसएस में शामिल विद्यार्थी अकादमिक शिक्षा के साथ सेवा को भी अपने व्यक्तित्व में शामिल कर सकते हैं। उन्होंने इसे काफी सारगर्भित तरीके से प्राचीन काल के कौटिल्य को संदर्भित करते हुए कहा कि इस महान यथार्थवादी चिंतक का भी यह मानना था कि एक विद्यार्थी के जीवन में स्वयं के कल्याण के साथ समाज के कल्याण की भी भावना निहित होनी चाहिए, जो आज एनएसएस का मूलमंत्र है।
उन्होंने इस संबंध में विश्वविद्यालय के प्रयासों की चर्चा करते हुए कहा कि गत दिनों इसी के तहत विश्वविद्यालय में पर्यावरण पखवाड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया गया जो विद्यार्थियों को इस बात से जोड़ता है कि युवाओं को एनएसएस के माध्यम से पर्यावरण के बचाव हेतु हरसंभव प्रयास करना चाहिए ताकि भारत विकासशील से विकसित राष्ट्र बन सके। उन्होंने अपने संबोधन को समाप्ति में अपने एक निजी अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान एक साधारण विद्यार्थी को एनएसएस के उत्कृष्ट कार्यों के द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करते हुए देखा है। विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित एनएसएस के राज्य समन्वयक dr ब्रजेश कुमार ने कहा कि एनएसएस व्यक्तित्व निर्माण की प्रयोगशाला है।
उन्होंने एनएसएस के प्रतीक चिन्ह में प्रयुक्त लाल, सफेद और नीले रंग के महत्व को उपस्थित विद्यार्थियों को समझाया । इसके पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभ में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ अभय कृष्ण सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय प्रवेश कराया। उन्होंने विद्यार्थियों के समक्ष एनएसएस की प्रासंगिकता और उनसे जुड़ी सुविधाओं की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने एनएसएस के आदर्श वाक्य, मैं नहीं, किंतु आप का महत्व बताया। इसके उपरांत विश्वविद्यालय की एनएसएस इकाई के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम जिनमें झारखंड का लोकनृत्य शामिल था, प्रस्तुत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी डॉ शमा सोनाली ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ एसएम अब्बास, कार्यक्रम अधिकारी डॉ अभयकृष्ण सिंह, डॉ शमा सोनाली और एनएसएस इकाई के विद्यार्थी मोहित, आयुषी, अमनजीत, स्नेहा , आर्शी, और शुभम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह जानकारी पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह ने दी।