सद्गुरु जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया था कि वे ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह आदेश तब आया जब डॉ. एस. कामराज ने एक याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी दो बेटियों को ईशा फाउंडेशन में बंधक बनाकर रखा गया है। इसके बाद, कोयंबटूर पुलिस ने ईशा फाउंडेशन के योग केंद्र पर छापा मारा और वहां की स्थिति की जांच की।
सरकार ने इस मामले में पुलिस को निर्देश दिया कि वे सभी आपराधिक मामलों की जांच करें और रिपोर्ट प्रस्तुत करें। पुलिस ने फाउंडेशन के योग केंद्र पर छापा मारा और वहां की स्थिति की जांच की। पुलिस ने पाया कि कुछ लोग वहां अपनी मर्जी से रह रहे थे, जबकि कुछ लोगों ने संन्यास लिया हुआ था। पुलिस ने फाउंडेशन के खिलाफ कई सबूत जुटाए हैं, जिनमें कथित तौर पर मस्तिष्कधोवन और बंधक बनाने के आरोप शामिल हैं।
सद्गुरु ने इन आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि फाउंडेशन में सभी लोग अपनी मर्जी से रह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है और कहा है कि वे इस मामले की गहन जांच करेंगे। इस मामले को लेकर जनता में भी मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग सद्गुरु का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इन आरोपों की जांच की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है और सभी पक्षों की दलीलें सुन रहा है।










