आज अपराह्न 2 बजे dr श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के एमसीए और एमएससी आई टी विभाग के तत्वावधान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग विषय पर एक कार्यशाला सह सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति dr तपन कुमार शांडिल्य ने विस्तार से इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। लेकिन इसकी महत्ता को 1970 के दशक में पहचान मिली। उन्होंने इसके शाब्दिक अर्थ को परिभाषित करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है, कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शैशवावस्था में हैं
उन्होंने आगे अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान में भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शैशवावस्था में हैं और देश में इसे लेकर कई दिशाओं में प्रयोग किए जा रहे है। भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रचना की जाएगी जो कि मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तेज है। आमंत्रित मुख्य वक्ता के रूप में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड के कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर dr सुभाष चंद्र यादव ने काफी विस्तार से पावर प्वाइंट और स्लाइड प्रस्तुति के द्वारा उपस्थित विद्यार्थियों के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग पर संवाद करते हुएअपने विचार रखें।
चर्चा करते हुए कहा कि
उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थों के कथन की चर्चा करते हुए कहा कि यह कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित किया गया इंटेलिजेंस है। उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में विकास को गति देने और लोगो को बेहतर तकनीकी सुविधा देने के लिए इसका अधिकाधिक प्रयोग किया जा सकेगा। इसके पूर्व एमसीए विभाग के पाठ्यक्रम समन्वयक dr अशोक कुमार आचार्य ने विषय प्रवेश करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। मौके पर dr आई एन साहू, dr राहुल देव साव, dr जेपी शर्मा, dr अभय कृष्ण सिंह सहित एमसीए विभाग के शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे।