झारखंड सरकार के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग की निदेशिका गरिमा सिंह ने कहा कि झारखंड काउंसिल ऑफ़ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन (JCSTI ) को विभिन्न गतिविधियों पर परामर्श देने के लिए राज्य विज्ञान सलाहकार बोर्ड (SSAB ) का गठन किया गया है। राज्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने, राज्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति तैयार करने और राज्य की विज्ञान और प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए यह बोर्ड कार्य करेगा। उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव इस बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। गरिमा सिंह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा झारखंड के उच्च और तकनीकी शिक्षा संस्थानों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए आयोजित राज्य स्तरीय संवादात्मक कार्यशाला के समापन दिवस के प्रारम्भिक सत्र को सम्बोधित कर रही थीं।
अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देगा
उन्होंने कहा कि अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची में सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन सुविधा केन्द्र स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह केंद्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों को शोधकार्य के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। विज्ञान में अनुसंधान सहायता की राशि अधिकतम पाँच लाख रु. तक हो सकती है। इसी प्रकार मानविकी, सामाजिक विज्ञान, भाषा, साहित्य, कला, कानून और संबद्ध विषयों में अनुसंधान परियोजना के लिए वित्तीय सहायता की अधिकतम राशि तीन लाख रु. तक हो सकती है।
वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा
उन्होंने बताया कि छात्रों के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए “खाद्य और स्वास्थ्य” और “दैनिक जीवन में मशीनें” थीम वाली 02 मोबाइल विज्ञान प्रदर्शनी बसें वर्तमान में स्कूलों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए राज्यों में घूम रही हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों और संकाय सदस्यों द्वारा किए गए अनुसंधान और नवाचार को मान्यता देने के लिए, उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग ने झारखंड राज्य उच्च शिक्षा पुरस्कार योजना के लिए विस्तृत दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार किया है। इसका उद्देश्य अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, अनुप्रयुक्त विज्ञान, बुनियादी विज्ञान, गणित, जनजातीय भाषाओं और गैर-जनजातीय भाषाओं के क्षेत्र में विश्वसनीय शोध करने वाले छात्रों और संकाय सदस्यों को पुरस्कृत करना है।
विकसित करने की महती आवश्यकता है
इस अवसर पर झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति dr डीके सिंह ने कहा कि आज के समय में शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच संबंधों को विकसित करने की महती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों के निर्माण करते समय उद्योगों की आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इंटर्नशिप को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग होना चाहिए। इसके पूर्व dr श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति dr तपन कुमार शांडिल्य ने इस सत्र के विशेषज्ञों dr डीके सिंह , उमेश कुमार शर्मा , dr अनिल कुमार, राजेंद्र मुथा और सूरज प्रकाश को सम्मानित करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यशालाओं में इन विशेषज्ञों के द्वारा प्रकट निष्कर्ष नए अनुसंधान की दिशा काफी उपयोगी साबित होंगे।
रचनात्मकता और आविष्कारों की रक्षा करते हैं
अनुसंधान एवं विकास परिणामों की सुरक्षा में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) की भूमिका पर बोलते हुए, सीएसआईआर-टीकेडीएल के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि आईपीआर किसी की रचनात्मकता और आविष्कारों की रक्षा करते हैं। भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में बात करते हुए उन्होंने ‘पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी’ के बारे में जानकारी दी, जो वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और आयुष मंत्रालय के संयुक्त सहयोग के तहत एक महत्त्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य दुनिया भर के पेटेंट कार्यालयों में भारतीय पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करना है।
उत्कृष्टता’ पर बोलते हुए
‘उद्योग अकादमी के पारस्परिक विचार विमर्श के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास में उत्कृष्टता’ पर बोलते हुए, आईआईटी मद्रास के मुख्य परिचालन अधिकारी, राजेंद्र मूथा ने कहा कि उद्योगों के सहयोग से अंतःविषय सहयोग को सुविधाजनक बनाने और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों पर केंद्रित अनुसंधान केंद्र स्थापित करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने छात्रों को उद्यमिता और स्टार्टअप के लिए प्रेरित करने वाले अनुसंधान पार्कों के बारे में भी बात की।
विषय पर एक सत्र लिया
सूरज प्रकाश, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, टेक्समिन, आईआईटी-आईएसएम धनबाद ने ‘तकनीकी शिक्षा संस्थानों में अत्याधुनिक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के तरीके’ विषय पर एक सत्र लिया। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा आपदा प्रबंधन के बारे में भी बात की। डॉ. उमेश कुमार शर्मा, वैज्ञानिक एफ, डीएसटी, भारत सरकार ने उच्च और तकनीकी शिक्षा में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की योजनाओं पर बात की। डॉ. प्रवाकर मोहंती, वैज्ञानिक ई, डीएसटी, भारत सरकार ने अनुसंधान एवं विकास अनुदान के अवसरों के बारे में बात की।
अनुदान कैसे सुरक्षित करें
डॉ. प्रियांक कुमार, प्रभारी प्रोफेसर, अंतरिक्ष इंजीनियरिंग और रॉकेट्री विभाग, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने ‘अनुसंधान परियोजनाओं के लिए अनुदान कैसे सुरक्षित करें’ विषय पर व्याख्यान दिया। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अवर सचिव श्री सैय्यद रियाज़ अहमद ने कार्यशाला में अभिव्यक्त विचारों को साररूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने शैक्षणिक समुदाय के लिए भारत सरकार और झारखंड सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने झारखण्ड में विज्ञान एवं तकनीकी को कैसे बढ़ावा दिया जाए-इस पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। डा. शमा सोनाली, डा. सुची सन्तोष बरवार एवं डा. शालिनी लाल ने संयुक्त रूप से मंच संचालन किया।