राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति कर दी है. झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस अब महाराष्ट्र के नए गर्वनर होंगे वहीं तमिलनाडू के बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन झारखंड के नए राज्यपाल होंगे. रमेश बैस करीब डेढ़ वर्ष तक सूबे के गर्वनर रहे. इस दौरान राज्य सरकार से उनके रिश्ते ने खूब सुर्खियां बटोरी. हाल में ही राजभवन ने झारखंड वित्त विधेयक को वापस कर दिया. उस से पहले रमेश बैस ने आधा दर्जन से ज्यादा बिल, किसी ना किसी आपत्ति के आधार पर सरकार को लौटा दिये. लेकिन इन सब में सबसे चर्चित रहा चुनाव आयोग का लिफाफा. सीएम हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से जुड़े चुनाव आयोग के एक बंद लिफाफे ने सूबे की सियासत में खूब तहलका मचाया. राजनीतिक गलियारे में तरह तरह की अटकलें लगाई जाने लगी.
खूब मची सियासी हलचल
बाजार में ऐसी खबरें उड़ती रहीं कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को दोषी मानते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है. इन सब चर्चाओं के बीच हेमंत सोरेन भी हॉर्स ट्रेडिंग के डर से अपनी सरकार को सुरक्षित करने में जुट गए. विधायकों को सिक्योर कर कभी सैर सपाटे तो कभी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर भेजा गया. एक दिन का विशेष सत्र बुलाकर विश्वासमत हासिल किया. दिल्ली भी दौड़ लगाई गई, कई बार राज्यपाल से मिलकर या लिफाफे के मजमून को सार्वजनिक करने की मांग की गई.
लिफाफे को लेकर अटकलें
सियासी हलचल के बीच मीडिया और राजनीतिक जगत में उस लिफाफे के खुलने और उसमें क्या हो सकता है इसको लेकर खूब अटकलें लगने लगी. हालात ऐसे थे कि लिफाफ सुबह खुलेगा, शाम खुलेगा और उससे कुछ तो निकलेगा. लेकिन 25 अगस्त को नई दिल्ली से रांची स्थित राजभवन पहुंचा ये लिफाफा ऐसा चिपका की आजतक नहीं खुला.
कई मौकों पर राजभवन सरकार आमने-सामने
7 जुलाई 2021 को झारखंड के राज्यपाल के रुप में पदभार संभालने के बाद लगभग डेढ़ वर्षों के कार्यकाल में राजभवन और राज्य सरकार के बीच कम से कम 5 से ज्यादा मौकों पर मतभेद-तनाव और असहमति की खबरें सामने आई. इन सबके अलावा टीएससी के गठन, 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक, कृषि और पशुधन विपणन, झारखंड वित्त विधेयक समेत कई बिलों को राजभवन ने हेमंत सरकार को वापस कर दिया.