कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी के कई नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए थे। नतीजों के बाद इनमें से कई टीएमसी में वापस लौट आए हैं। कुछ अभी भी सत्तारूढ़ दल में वापसी की राह देख रहे हैं हालांकि इसके लिए उनको भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। दरअसल दक्षिण दिनाजपुर में शनिवार को बीजेपी छोड़कर टीएमसी में शामिल होने के लिए आदिवासी महिलाओं को सड़क पर रेंगने के लिए मजबूर किया गया।
घटना का वीडियो आया सामने
इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें आदिवासी महिलाएं 1 किमी तक सड़क पर रेंगती दिख रही हैं। वीडियो में तृणमूल कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में गोफानगर गांव की मार्टिना किस्कू, शिउली मार्डी, ठाकरन सोरेन और मालती मुर्मू को रेंगते हुए देखा गया।
टीएमसी जिला अध्यक्ष ने की निंदा
तृणमूल जिला महिला सेल की अध्यक्ष प्रदीप्ता चक्रवर्ती ने बताया कि चारों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर दंडवत परिक्रमा की। चक्रवर्ती ने आगे कहा, ‘भोले-भाले ग्रामीण बीजेपी में शामिल हो गए थे। जल्द ही उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और टीएमसी में वापस आ गए।’
इसे लेकर टीएमसी में ही विरोध की आवाज उठने लगी हैं। तृणमूल दक्षिण दिनाजपुर के जिलाअध्यक्ष मृणाल सरकार ने इसका खुलकर विरोध किया। उन्होंने कहा, ‘किसी को दंडवत परिक्रमा के लिए मजबूर करना सही नहीं है। पार्टी का ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं था। मैं इस मामले को देखूंगा।’
बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने साधा निशाना
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के सदस्य जो टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुए थे, उन्हें पार्टी में लौटने के लिए रेंगने पर मजबूर किया गया। उन्होंने कहा कि दंडवत परिक्रमा करवाकर उन्हें दंडित भी किया गया।
बीजेपी नेता ने ट्वीट किया, ‘तपन गोफानगर, तपन निवासी मार्टिना किस्कू, शिउली मार्डी, ठाकरन सोरेन और मालती मुर्मू कल बीजेपी में शामिल हो गए। ये एसटी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। आज टीएमसी के गुंडों ने उन्हें टीएमसी में वापस जाने के लिए मजबूर किया और दंडवत परिक्रमा करने के लिए कहा।’