रांची : झारखंड में एक और उपचुनाव होने वाला है। दरअसल झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन हो गया। उनका निधन चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में इलाज के क्रम में हो गई। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। जगरनाथ महतो के निधन के बाद डुमरी विधानसभा सीट खाली हो गई है। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं। इससे पहले 5 उपचुनाव राज्य में हो चुके हैं, जिसमें 4 सीटों पर सत्ताधारी पार्टी का कब्जा बरकरार रहा। वहीं हाल ही में रामगढ़ में हुए उपचुनाव में एनडीए में शामिल आजसू पार्टी ने बाजी मारी।
4 उपचुनावों में यूपीए महागठबंधन की जीत
झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद से बेरमो, मधुपुर, मांडर और दुमका में उपचुनाव हुआ। चारों उपचुनाव में सीटिंग एमएलए के निधन या सीट छोड़ने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने ही जीत हासिल की। बेरमो में दिग्गज कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह के निधन के बाद उनके बेटे अनूप सिंह उर्फ कुमार जयमंगल सिंह ने जीत दर्ज की। मधुपुर में हेमंत कैबिनेट में मंत्री रहे हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके बेटे हफीजुल हसन अंसारी जीते। मांडर में बंधु तिर्की की विधायकी गई तो उनकी बेटी शिल्पी नेता तिर्की जीतीं। दुमका में बंसत सोरेन जीते। इस सीट उनके बड़े भाई और प्रदेश के मुखिया हेमंत सोरेन के छोड़ने की वजह से खाली हुई थी।
उपचुनावों में परिवारों का रहा कब्जा
दिलचस्प बात ये है कि सभी सीटें झामुमो और कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीटें थीं। हाजी हुसैन अंसारी मधुपुर से 4 बार विधायक चुने गए। जब उनका निधन हुआ तो उपचुनाव में उनके बेटे हफीजुल हसन अंसारी को जनता की सहानुभूति का लाभ मिला। राजेंद्र सिंह बेरमो से 6 बार विधायक बने। क्षेत्र में उनकी जबरदस्त पकड़ थी। उनका निधन हुआ तो उनके बेटे अनूप सिंह को उपचुनाव में कोर वोट बैंक और तात्कालिक सहानुभूति का लाभ मिला। वहीं बंधु तिर्की झारखंड की राजनीति में बड़ा चेहरा हैं। जब आय से अधिक संपत्ति मामले में उनकी विधायकी गई तो यूपीए महागठबंधन ने इसे बीजेपी के पड्यंत्र के रूप् में प्रचारित किया। इस उपचुनाव में उनकी बेटी शिल्पी नेहा तिर्की जीतीं।
रामगढ़ में कांग्रेस नेता ममता देवी को नहीं मिला सहानुभूति का लाभ
अभी हाल ही में रामगढ़ में हुए उपचुनाव में कांग्रेस की ममता देवी के पति बजरंग महतो को सहानुभूति का लाभ नहीं मिला। यहां आजसू प्रत्याशी व सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी भारी मतों से जीत हासिल कीं। यह सीट आजसू की परंपरागत रही है। लेकिन 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में आजसू को हार का मुंह देखना पड़ा था। क्योंकि चुनाव के दौरान आजसू को बीजेपी का सहयोग नहीं मिला था। इसलिए यह सीट हाथ से फिसल गया था। लेकिन जब गोला गोलीकांड में कांग्रेस की ममता देवी को 5 साल की सजा मिली तब उनकी विधायकी चली गई। जबकि कुछ ही दिन पहले वो मां बनी थीं। उन्हें ऐसा लगा कि इस चुनाव में सहानुभूति मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आजसू के पास फिर से यह सीट आ गई।
लगातार 4 बार विधायक बने जगरनाथ महतो
डुमरी विधानसभा सीट (Dumri Assembly Seat) झारखंड के मध्य क्षेत्र का हिस्सा है, और इसकी 90 फीसदी आबादी ग्रामीण है, और शेष 10 फीसदी आबादी शहरी है। इस विधानसभा सीट में 10.97 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) तथा 10.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी है। गिरिडीह के डुमरी विधानसभा से लगातार 4 बार विधायक बने। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक वोट 34940 वोटों से जीत हासिल की।
2014 में जगरनाथ महतो ने हासिल की थी जीत
वर्ष 2014 के चुनाव में इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के जगरनाथ महतो ने जीत हासिल की थी, जिन्हें 45.1 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। इस सीट, यानी डुमरी सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव (Dumri Assembly Elections) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का उम्मीदवार दूसरे, जनता दल यूनाइटेड (JDU) का प्रत्याशी तीसरे, झारखंड विकास मोर्चा (JVM) का उम्मीदवार चौथे तथा समाजवादी पार्टी (SP) का प्रत्याशी पांचवें स्थान पर रहे थे। पिछले चुनाव में इस सीट के मतदाताओं में से 1,046, यानी 0.6 फीसदी ने NOTA, यानी ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्प चुना था।
2005 और 2009 में जगरनाथ महतो ने लहराया था जीत का परचम
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के जगरनाथ महतो ने जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः जनता दल यूनाइटेड (JDU), निर्दलीय, निर्दलीय और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के प्रत्याशी रहे थे। वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के जगरनाथ महतो ने ही जीत हासिल की थी, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU), निर्दलीय और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) के उम्मीदवार रहे थे।