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फरवरी के महीने में ही कम क्यों होते हैं दिन ? जानिये इसके पीछे की वजह

February 28, 2023
in National, Uncategorized
फरवरी के महीने में ही कम क्यों होते हैं दिन ? जानिये इसके पीछे की वजह
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फरवरी की 28 तारीख है यानी महीना का अंतिम दिन. जनवरी और मार्च महीने के 31-31 दिनों के बीच फरवरी 28 दिनों का होता है. लेकिन ये सवाल अक्सर हर किसी के मन में उठता है कि आखिर फरवरी का महीना 28 या 29 दिनों का क्यों होता है, क्यों तीन वर्ष 2 और एक साल 1 दिन कम होता है, क्या है इसे पीछे का गणित.

रोमन किंग न्यूमा पोम्पीलियस का हाथ

तो चलिये करते हैं इसे जानने की कोशिश. इसके पीछे रोमन किंग न्यूमा पोम्पीलियस का हाथ है. क्योंकि हम जो कैलेंडर इस्तेमाल करते हैं वो रोमन कैलेंडर पर आधारित है. पुराने रोमन कैलेंडर में एक साल में सिर्फ 10 महीने हुआ करते थे, जिसमें 304 दिन शामिल थे. लेकिन बाद में इसमें दो और महीने जोड़ दिए गए जिनका नाम जनवरी और फरवरी रखा गया. ऐसा करने से पूरा साल 12 महीने का हो गया.

पृथ्वी और सूर्य की परिक्रमा 

इस कैलेंडर पर भी काफी विवाद भी हुआ क्योंकि इस कैलेंडर के अनुसार त्योहार सही समय पर नहीं आ पा रहे थे. इसके बाद इसमें काफी बदलाव किए गए. इस बदलाव में फरवरी महीने से 2 दिन कम कर दिए गए जिसके कारण साल में 365 दिन तय हो गए. यह कैलेंडर पृथ्वी और सूर्य की परिक्रमा के अनुसार बनाया गया था क्योंकि पृथ्वी को सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे का समय लगता है. ऐसे में हर साल 6 घंटे एक्स्ट्रा बच जाते हैं जो 4 साल बाद 24 घंटे यानि एक दिन में बदल जाते हैं. इसी वजह से फरवरी के महीने में 28 या 29 दिन होते हैं.

मार्च से दिसंबर तक का होता था वर्ष

अब सवाल उठता है कि इस 28-29 दिनों के माह के लिये फरवरी को ही क्यों चुना गया. ऐसी कई कहानियां सदियों से फेमस हैं जिनके मुताबिक रोम के पहले शासक रोमुलुस के समय में ऐसा कैलेंडर था जो मार्च से शुरू होकर दिसंबर पर खत्म होता था. इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस समय दिसंबर की समाप्ति और मार्च के पहले के समय को कैसे गिना जाता था लेकिन यहां सर्दी के मौसम में खेती न हो पाने की वजह से इस समय का रोमन लोगों के लिए कोई महत्व नहीं था और इसे कैलेंडर का हिस्सा बनाना उन्होंने जरूरी नहीं समझा.

354 दिन लंबा होता था चंद्र वर्ष

रोम के दूसरे शासक, नुमा पोम्पिलियुस, ने कैलेंडर को ज्यादा सटीक बनाने का सोचा और इसे चांद के हिसाब से एक वर्ष पूरा करने का सोचा. उस समय हर चंद्र वर्ष 354 दिन लंबा होता था. नुमा ने कैलेंडर में दिसंबर के बाद जनवरी और फरवरी के महीने जोड़े ताकि बचे हुए दिनों की गिनती की जा सके. दोनों नए महीनों को 28 दिनों का बनाया गया क्योंकि चंद्र वर्ष के हिसाब से 56 दिन एक्स्ट्रा थे.

28 नंबर को बुरा समझते थे रोमन
रोम में 28 नंबर को बुरा समझा जाता था और इससे बचने के लिए नुमा ने जनवरी में एक दिन और जोड़कर इसे 29 दिन बना दिया और हर वर्ष को 355 दिनों का. इस बात का कारण कभी नहीं पता हो पाया कि आखिर क्यों नुमा ने फरवरी में भी एक और दिन नहीं जोड़ा? प्राचीन रोमन काल से ही फरवरी महीने को बदनसीबी वाला महीना समझा जाता था क्योंकि यह 28 दिनों का था.
मृत आत्माओं वाला महीना 
फरवरी को बैडलक वाला महीना समझे जाने के पीछे एक और कारण यह भी है कि इस महीने में ही रोम में मृत आत्माओं की शांति और पवित्रता के काम किए जाते थे. पुरानी सेबाइन जनजाति की भाषा में फेब्रुअरे का मतलब पवित्र करना होता है.
जुलियस सीजर ने बदला कैलेंडर
रोम के विश्व प्रसिद्ध शासक जुलियस सीजर ने 45 BC में एक विद्वान को नियुक्त कर कैलेंडर को चंद्रमा के मुताबिक न रखते हुए सूर्य के हिसाब से रखने का आदेश दिया, जैसा कि मिस्त्र के कैलेंडर में किया जाता था. जुलियस सीजर ने हर वर्ष में 10 दिन जोड़ दिए और हर चौथे वर्ष में एक और दिन. अब हर वर्ष 365 दिन और 6 घंटे लंबा था.
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